कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ,क्यों है “वैरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट ” जाने इस ख़बर में
कोरोना वायरस
कोरोना के नए सब वैरिएंट को JN.1 को पहले इसके मूल वंश BA.2.86 के एक हिस्से के रूप में वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के तौर पर वर्गीकृत किया गया था.लेकिन अब सर्दियों का मौसम शुरू होने के साथ ही इस संक्रमण का फैलने का खतरा है. इसके चलते इसे अलग से वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के तौर पर वर्गिकृत किया गया है.
कोरोना के नए सब वैरिएंट ने एक बार फिर दुनियाभर की चिंताएं बढ़ा दी हैं. इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बयान जारी किया है और कोरोना के नए सब वैरिएंट जेएन.1 को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के तौर पर वर्गीकृत किया है.
हालांकि, यह भी कहा गया कि इससे लोगों को ज्यादा खतरा नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अब तक मिले आंकड़ों और हालात को देखते हुए जेएन.1 के वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को फिलहाल कम ही माना जा रहा है।Corona
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना का नया सब-वैरिएंट जेएन.1 (JN.1) ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के तौर पर वर्गीकृत किया है। हालांकि, यह भी कहा गया कि इससे लोगों को ज्यादा खतरा नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अब तक मिले आंकड़ों और हालात को देखते हुए जेएन.1 के वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को फिलहाल कम ही माना जा रहा है।
‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ का क्या मतलब?
इसका मतलब है कि इसे ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ के रूप में वर्गीकृत करने से पहले स्वास्थ्य संगठन इस वेरिएंट की प्रकृति और संक्रामकता शक्ति की निगरानी करता रहेगा। इससे पहले वैरिएंट्स की प्रकृति के आधार पर डब्ल्यूएचओ अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ के रूप में वर्गीकृत कर चुका है। लैम्ब्डा वैरिएंट को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
लक्जमबर्ग में पाया गया था सबसे पहला केस
कोरोना के नए सब-वैरिएंट JN.1 के बारे में सामने आया है कि इसका सबसे पहला केस अगस्त में लक्जमबर्ग में पाया गया. इसके बाद यह धीरे-धीरे 36 से 40 देशों में फैल गया. विश्व स्वास्थ्य संगठन( WHO) इस सब-वैरिएंट को “वैरीएंट ऑफ इंटरेस्ट” कहा है. JN.1 को पहले इसके मूल वंश BA.2.86 के हिस्से के रूप में वर्गीकृत किया गया था, लेकिन WHO ने अब इसे अलग प्रकार के तौर पर वर्गीकृत किया है.
WHO ने कहा है कि मौजूदा टीके JN.1 और कोविड-19 वायरस के दूसरी वैरिएंट से होने वाली गंभीर बीमारी और मौत की रोकथाम जारी रखेंगे. वहीं, जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक वायरोलॉजिस्ट एंड्रयू पेकोज ने कहा है कि JN.1 अधिक जोखिम पैदा नहीं करता है.
ये भी पढ़ें: कहीं आपका बच्चा वाइट लंग सिंड्रोम का शिकार तो नहीं ,जाने कारण ,लक्षण ,बचाव के तरीके
ठण्ड के मौसम में पैदल चलने के 10 फायदे
फटी एड़ियों के दर्द से तुरंत मिलेगा छुटकारा ,अपनाएं सस्ते और झटपट असरदार घरेलू नुस्ख़े