Pranam karne ke fayade: सम्मान और आदर्शता
फायदे (Pranam)करने के
Pranam karne ke fayade
जब कोई हमें Pranam करता है या हम करते हैं तो अनायास ही हमारे मुख से निकलता है खुश रहो, सदा सुखी रहो। प्रणाम के उत्तर में हमारे मुख से जो शब्द निकलते हैं ये कोई साधारण शब्द
नहीं है। ये दुनिया के सबसे कीमती शब्द हैं।
आजकल हमइन बातों को भूलते जा रहे हैं। महत्व देना बंद करते जा रहे हैं. यकीन मानिये, प्रणाम के जवाब में हमें जो आशीर्वाद मिलता है या हम किसी
को देते हैं वे 100 फीसदी चमत्कारिक शब्द होते हैं बेशकीमती शब्द होते हैं। शरीर की खुराक के साथ साथ आत्मा को भी खुराक चाहिए जो संस्कारों से मिलती है.हम भूलते जा रहे हैं आशीर्वाद को।
आशीर्वाद एक कवच के सामान होता है जो हर बाधा से हमारी रक्षा करता है। प्रणाम अनुशासन है, प्रणाम शीतलता है, Pranam आदर सीखता है, प्रणाम से सुविचार आते हैं, प्रणाम झुकना सिखाता है
प्रणाम क्रोध मिटाता है, प्रणाम आंसू धो देता है, प्रणाम अहंकार मिटाता है, pranam हमारी संस्कृति है।
जिनको विद्या चाहिए, शक्ति चाहिए, यश चाहिए, उन सबको प्रणाम करना चाहिए ।
माता-पिता के पैर छूने से क्या होता है: पैर छूने वाले व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, नकारात्मक विचार समाप्त होते हैं सकारात्मक विचार मन में आते हैं। पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि बड़ों के स्वाभाव की अच्छी बातें भी हमारे अन्दर उतर जाती हैं. पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि इससे हमारी कसरत भी होती है। तीन
तरीकों से पैर छुआ जाता है 1) झुक कर पैर छूना 2)घुटने के बल बैठ कर पैर छूना 3) साष्टांग प्रणाम करना।
झुककर Pranam करने से हमारी कमर की कसरत होती है।
घुटने के बल pranam करने से जोड़ो पर बल पड़ता है और राहत मिलती है।
साष्टांग प्रणाम करने से हमारे सारे जोड़ कुछ देर के लिए सीधे तन जाते हैं।
माथे को भूमि से लगते हैं तो हमें लाभ मिलता है, आयु , विद्या, यश और बल बढ़ता है. साष्टांग pranam करने से हमारे अन्दर का अहंकार तुरंत बाहर निकल जाता है।
नमस्कार(Pranam) करने के फायदे
हाथ जोड़कर नमस्कार करने के पीछे वैज्ञानिक कारण माना जाता है. इससे ह्रदय चक्र और आज्ञा चक्र सक्रिय होता है और शरीर में सकारात्मक उर्जा का तेजी से संचार होता है, मानसिक शांति मिलती है
और आत्म बल प्राप्त होता है. क्रोध पर नियंत्रण बढ़ता है और स्वाभाव में विनम्रता आती है।
प्रणाम, सम्मान और आदर्शता का प्रतीक है। यह एक संस्कार है जिसे भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण माना जाता है। pranam करने से न केवल हमारे भावों का आदान-प्रदान होता है, बल्कि यह हमारे मन, शरीर और आत्मा के लिए अनेक फायदे प्रदान करता है। चलिए, हम pranam करने के कुछ महत्वपूर्ण फायदों को विस्तार से जानेंगे।
- शांति और सुख का अनुभव: प्रणाम करने से हम अपने मन को शांति और सुख की अनुभूति करते हैं। जब हम किसी को प्रणाम करते हैं, तो हम उस व्यक्ति की ओर से प्रेम, सम्मान और शुभकामनाएं प्राप्त करते हैं। यह हमारे मन को संतुष्ट, खुश और शांत रखने में मदद करता है।
- सम्मान और आदर्शता: प्रणाम करना दूसरों के प्रति हमारे सम्मान और आदर्शता का प्रदर्शन है। जब हम किसी को प्रणाम करते हैं, तो हम उसके सम्मान में ऊँचा स्थान देते हैं और उसकी महत्ता को स्वीकार करते हैं। यह हमें एक नेतृत्वी भूमिका में रखता है और हमारे सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाता है।
- अनुशासन और संयम: प्रणाम करने से हम अपने आप को अनुशासित करते हैं और संयमित बनाते हैं। इसके द्वारा हम अपनी इच्छाओं, अहंकार और असंतोष को नियंत्रित कर सकते हैं और दूसरों की सेवा में लग सकते हैं। यह हमारे व्यक्तित्व को संतुलित करता है और हमें सामर्थ्य और सहनशीलता की ओर अग्रसर करता है।
- आत्मिक विकास: प्रणाम करने से हमारा आत्मिक विकास होता है। इसके माध्यम से हम संयम, सहनशीलता, धैर्य और समरसता की प्राप्ति करते हैं। यह हमारे मन को पवित्रता और उज्ज्वलता के साथ पूर्ण करता है और हमें आत्म-संयम और स्वाधीनता की ओर अग्रसर करता है।
- समरसता और भाईचारा: प्रणाम करने से हम समरसता और भाईचारे की भावना विकसित करते हैं। जब हम अपने आप को एक समृद्ध समुदाय का हिस्सा मानते हैं, तो हम सामाजिक संबंधों को मजबूत करते हैं और एकता और समझौता को प्रोत्साहित करते हैं।
स्त्री के पैर छूने(pranam) से क्या होता है
स्त्री के पैर छूने से क्या होता है: स्त्री के पैर छूने का अर्थ व्यावहारिक और सामाजिक संकेतिक दोनों रूप में व्याख्या की जा सकती है। यह धार्मिक संस्कृति और सभ्यता के आधार पर भिन्न-भिन्न मान्यताओं और संस्कृति में अलग-अलग रूपों में मान्यता रखता है। हालांकि, इसका व्याख्यान यथार्थ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए।
धार्मिक दृष्टिकोण से, कई संस्कृति में स्त्रियों के पैर छूने को पवित्र, सम्मानजनक और आदरणीय माना जाता है। यह प्रतीक्षा, सम्मान और सेवा का अभिव्यक्ति हो सकता है। इसे आपसी संबंधों, परिवारिक संबंधों और आध्यात्मिक गुरु-शिष्य संबंधों में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक आदर्शता और सम्मान का प्रतीक हो सकता है जो स्त्री के प्रति उपेक्षा और अनादर के स्थान पर सम्मान और समर्पण की भावना को प्रदर्शित करता है।
पैर छूने के नुकसान
.पैर छूने के nuksan को धार्मिक, वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण से व्याख्या किया जा सकता है। हालांकि, यह नुकसान धार्मिक या सामाजिक मान्यताओं से नहीं होता है, बल्कि शारीरिक और सामान्यतः अवांछनीय परिस्थितियों से हो सकता है।
शारीरिक दृष्टिकोण से, पैर.छूने के nuksan निम्नलिखित हो सकते हैं:
- संक्रमण: पैर छूने से किसी संक्रमण का संकेत मिल सकता है, विशेष रूप से जब छूआ जगह अशुद्ध होती है या अस्वस्थता या रोगी के साथ संपर्क होता है। इसलिए, हमेशा साफ़ पानी और साबुन का उपयोग करके अपने हाथ धोने का प्रयास करना चाहिए।
- चोट और दर्द: कभी-कभी अवांछनीय परिस्थितियों में, जैसे कि किसी कठिन पदार्थ के साथ संपर्क या अचानक आघात, पैर छूने से चोट या दर्द हो सकता है। यह चोट या दर्द विभिन्न गंभीरता स्तरों पर हो सकता है और चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
- प्रतिक्रिया और अस्थिरता: कुछ लोगों को पैर छूने से त्वचा पर त्वचा की अभिक्रिया और संवेदनशीलता होती है, जो अस्थिरता या अस्वस्थता का कारण बन सकती है। इस तरह की प्रतिक्रिया त्वचा संक्रमण, एलर्जी या अन्य संक्रमण के एक लक्षण भी हो सकती है।
सामाजिक दृष्टिकोण से पैर छूने के nuksan संबंधित सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप हो सकते हैं, जहां पैर छूना विशेष महत्व रखता है। हालांकि, यह नुकसान नहीं होता है यदि स्त्री के पैर छूने को संवेदनशीलता और सम्मान के साथ किया जाता है और उसकी सहमति ली जाती है। इसलिए, सामाजिक मान्यताओं के साथ यथार्थिता बनाए रखना महत्वपूर्ण है ताकि किसी भी प्रकार के निरादर या उपेक्षा से बचा जा सके।
इन सभी परिस्थितियों में, सावधानी बरतना और हाथों को साफ़ रखना अत्यावश्यक है। यदि किसी पैर छूने के पश्चात लक्षण या समस्या विकसित होती है, तो चिकित्सक से सलाह लेना सुविधाजनक होगा।