मानसून में होने वाली 10 बीमारियाँ, लक्षण, सावधानियां
Monsoon diseases symptoms and prevention in hindi मित्रों मानसून अपने साथ बहुत सारी बीमारियाँ ले कर अत है। इस लेख में हम आप को बताने वाले हैं मानसून में होने वाली 10 बीमारियाँ, लक्षण, सावधानियां ताकि आप रहें एकदम फिट। डेंगू(Dengue) : मानसून में मच्छरों से होने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)…
Monsoon diseases symptoms and prevention in hindi
मित्रों मानसून अपने साथ बहुत सारी बीमारियाँ ले कर अत है। इस लेख में हम आप को बताने वाले हैं मानसून में होने वाली 10 बीमारियाँ, लक्षण, सावधानियां ताकि आप रहें एकदम फिट।
डेंगू(Dengue) : मानसून में मच्छरों से होने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)
डेंगू, एक गंभीर और जानलेवा रोग है जो एक प्रकार के मच्छर ( एडीज मच्छर )काटने से फैलता है। यह मच्छर वर्षा और गर्मियों के मौसम में सबसे ज्यादा पाया जाता है।
डेंगू का कारण डेंगू वायरस होता है जो एक मच्छर के संक्रमित मनुष्य को काटने के बाद दूसरे मनुष्य को काटने पर शरीर में प्रवेश करता है। यह रोग प्रभावित व्यक्ति से स्वस्थ
व्यक्ति तक फैलता है।
डेंगू रोग के लक्षण निम्नलिखित हैं:
1 बुखार
2 सिरदर्द
3 थकान
4 शरीर में दर्द
5 छाती में सूजन
6 बंद नाक और जुखाम
डेंगू से बचने के उपाय :
1 पानी जमा होने वाले स्थानों की सफाई बनाए रखें।
2 मॉस्किटो नेट का उपयोग करें।
3 सरकारी एरियल स्प्रे के लिए समर्थन करें।
4 डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर व्यक्ति को तत्परता के साथ आपातकालीन चिकित्सा सेवा प्रदान करें।
5 जल्दी से निकटतम चिकित्सा संस्थान में जाएं और उपचार करवाएं।
6 स्वस्थ्य, पौष्टिक आहार लें, पर्याप्त पानी पिएं, नियमित रूप से व्यायाम करें और पर्याप्त आराम लें।
7 जागरूकता फैलाएं: अपने परिवार, पड़ोसी, और समुदाय के लोगों को डेंगू संक्रमण के लक्षणों, बचाव के उपायों और सरकारी निर्देशोंके बारे में जागरूक करें।
चिकनगुनिया(Chikengunya): मानसून में मच्छरों से होने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)
चिकनगुनिया एक संक्रामक बीमारी है जो मच्छरों द्वारा फैलती है। यह बीमारी चिकनगुनिया वायरस (CHIKV)द्वारा होती है और जोड़ों में दर्द, बुखार और सूजन के लक्षणों के साथ जुड़ी होती है।
यह वायरस अधिकतर गर्म और आर्द्र इलाकों में पाया जाता है, जहां मच्छरों की विशेष प्रजातियां होती हैं।
जब एक इंसान चिकनगुनिया संक्रमित मच्छर के काटने का शिकार होता है, तो उसे इंफेक्शन का सामरिक पीरियड के बाद लगभग 2-4 दिन रहता है।
इस अवधि के बाद, वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश करता है और उसके कोशिकाओं को संक्रमित करता है।
चिकनगुनिया के लक्षण निम्नलिखित हैं:
1 बुखार: बुखार आचानक शुरू होता है।
2 जोड़ों में दर्द: यह दर्द आमतौर पर मांसपेशियों में होता है।
3 सूजन: जोड़ों में सूजन भी हो सकती है।
4 थकान: यह थकान असामान्य होती है और रोगी को काम करने में परेशानी होती है।
5 आंखों में लाली: चिकनगुनिया संक्रमण के कारण आंखों में लाली (कोंजक्टिवाइटिस) दिखाई दे सकती है।
6 त्वचा पर लाल चकत्ते: कुछ मामलों में, चिकनगुनिया संक्रमण के कारण त्वचा पर चकत्ते दिखाई देते है।
चिकनगुनिया से बचने के उपाय :
1 मच्छर संरक्षण: मच्छरों के काटने से बचने के लिए मच्छर नेट का उपयोग करें और कीटनाशक का प्रयोग करें।
2 संभावित मच्छर ब्रीडिंग स्थलों की सफाई: मच्छरों के लिए पानी संचयन स्थल जैसे पेयजल की टंकी, पेड़ों के छाले में जमा पानी, बारिशदार टंकी, पौधों की पानी रखने की पाइपलाइन, और पहिये में पानी इकट्ठा होने वाले गड्ढे इत्यादि को ध्यान से साफ़ करें।
3 सुरक्षा के साथ कपड़े: धूप में बाहर जाने पर और रात में मच्छर के आक्रमण से बचने के लिए ,
लम्बे और सुरक्षित कपड़े पहनें।
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मलेरिया(Malaria): मानसून में मच्छरों से होने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)
मलेरिया एक जीवाणु संक्रमण है जो मुख्य रूप से एनोफिलेस मच्छरों द्वारा फैलता है। यह संक्रमण प्लास्मोडियम जिवाणु (Plasmodium) नामक परजीवी के कारण होता है। मलेरिया विश्वभर में पायी जाने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक है,
जिसके कारण लाखों लोग हर साल संक्रमित हो जाते हैं।
यह बीमारी मुख्य रूप से गर्म और आर्द्र (humid) इलाकों में पायी जाती है, जहां एनोफिलेस मच्छरों की प्रजातियां पाई जाती हैं।ये मच्छर जल वाले छेत्रों में अधिक पाया जाता है यही कारण है की मानसून में यह अधिक फैलता है।
मलेरिया के लक्षण निम्नलिखित हैं:
1 बुखार
2 ठण्ड
3 सिरदर्द, पीठ का दर्द, पैरों का दर्द और मांसपेशियों का दर्द।
4 थकान
5 बुखार छिपाने वाली जान: मलेरिया के कुछ प्रकार में, बुखार के बजाय इन्हें “बुखार छिपाने वाली जान” कहा जाता है, जहां रोगी के शरीर में उच्चतम तापमान नहीं होता है, लेकिन अनुचित ठंड और गर्मी का अनुभव होता है।
6 जून्द: मलेरिया संक्रमण के कुछ प्रकार में रक्त में प्लास्मोडियम जीवाणु की वृद्धि होने के कारण रक्तचाप में कमी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर जून्द (पेटीकिए) दिखाई दे सकते हैं।
मलेरिया से बचने के उपाय :
1 मच्छरों के काटने से बचने के लिए मच्छर नेट का उपयोग करें और सुरक्षा के मच्छर नियंत्रण उपायों का पालन करें।
2 मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में जीवाणुनाशी दवाओं का नियमित रूप से उपयोग करें।
3 अपने आसपास के क्षेत्रों में जहां पानी इकट्ठा होता है, उन्हें साफ़ करें और रिक्त करें। मच्छरों के लिए पानी संचयन स्थल जैसे पेयजल की टंकी, पेड़ों के छाले में जमा पानी, बारिशदार टंकी, पौधों की पानी रखने की पाइपलाइन, और पहिये में पानी इकट्ठा होने वाले गड्ढे इत्यादि को ध्यान से साफ़ करें।
4 मलेरिया मच्छरों की संख्या वसंत और ग्रीष्म ऋतु में अधिक होती है, इसलिए इन ऋतुओं में विशेष सतर्कता रखें और मच्छर संरक्षण के उपायों को ज्यादा मजबूती से अपनाएं।
5 धूप में बाहर जाने पर और रात में मच्छर आक्रमण से बचने के लिए धनी, लम्बी और सुरक्षित कपड़े पहनें।
6 अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखें और साफ़ पानी का उपयोग करें।
हैजा(Cholera): मानसून में पानी से होने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)
हैजा एक अचानक होने वाली बीमारी है जो तब होती है जब कोई व्यक्ति गलती से Vibrio Cholera(वी. कॉलेरी) बैक्टीरिया को निगल लेता है। जब बैक्टीरिया किसी व्यक्ति की आंतों को संक्रमित करते हैं, तो वे बहुत खराब दस्त और निर्जलीकरण (Dehydration) का कारण बन सकते हैं।
ये जटिलताएँ कभी-कभी मृत्यु का कारण बन सकती हैं।जब कोई व्यक्ति Vibrio Cholera युक्त भोजन या पानी खाता या पीता है, तो उसके अंदर बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। फिर बैक्टीरिया छोटी आंतों से तरल पदार्थ का स्राव (रिसाव) करते हैं, जिससे दस्त होता है।
हैजा के लक्षण निम्नलिखित हैं:
1 दस्त
2 भूख की कमी
3 रोगी को लगातार प्यास लगती है, इसके कारण रोगी बहुत अधिक मात्रा में पानी पीने की इच्छा करते हैं।
4 उबकाई और उल्टी
5 थकान
6 सूखी त्वचा
7 मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द
8 उच्च तापमान
9 कोलेरा संक्रमण से प्रभावित होने पर किडनी को नुकसान पहुंच सकता है और इसके परिणामस्वरूप मरीजों में गुर्दा कमज़ोर हो सकता है।
10 नींद की कमी
हैजा से बचने के उपाय :
1 हमेशा साफ-सुथरी जगह पर खाना खाएं और पानी पिएं।
2 अपने हाथ धोने के लिए साबुन और पानी का उपयोग करें या अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें।
3 केवल पीने के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पानी का उपयोग करें।
4 पीने के पानी को उबालें या बोतलबंद पानी का उपयोग करें।
5 खुले में शौच न करें और न ही करने दें।
6 अपशिष्ट पदार्थों का निपटान पीने के पानी से दूर करें।
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टाइफाइड(Typhoid): मानसून में पानी से होने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)
टाइफाइड एस. टाइफी जीवाणु के कारण होने वाला संक्रमण है।
यह जीवाणु मनुष्यों की आंतों और रक्तप्रवाह में रहता है। यह संक्रमण वाले व्यक्ति के मल के सीधे संपर्क से व्यक्तियों के बीच फैलता है।
इसलिए संचरण हमेशा मनुष्य से मनुष्य में होता है। एस टाइफी मुंह के माध्यम से प्रवेश करती है और आंत में 1-3 सप्ताह तक रहती है। फिर, यह आंतों की दीवार के माध्यम से और रक्तप्रवाह में अपना रास्ता बनाता है।
रक्तप्रवाह से, यह अन्य ऊतकों और अंगों में फैलता है।
टाइफाइड के लक्षण निम्नलिखित हैं:
1 तेज़ बुखार: लगातार तेज़ बुखार,103-104°F (39-40°C)
2 कमजोरी और थकान
3 पेट दर्द: नाभि क्षेत्र के आसपास होता है।
4 सिरदर्द
5 भूख में उल्लेखनीय कमी और बाद में वजन कम होना
6 दस्त या कब्ज (loose motion/Constipation)
7 कुछ मामलों में, छाती और पेट पर छोटे, गुलाबी रंग के धब्बे दिखाई दे सकते हैं।
8 प्लीहा और यकृत का बढ़ना(enlargement of spleen and Liver)
9 शरीर में दर्द
10 धड़ पर चपटे, गुलाबी रंग के धब्बों वाले दाने विकसित हो सकते हैं।
टाइफाइड से बचने के उपाय :
1 टाइफाइड बुखार से बचाव के लिए टीका लगवाएं। दो प्रकार के टीके उपलब्ध हैं: एक इंजेक्टेबल टीका और एक मौखिक टीका।
2 भोजन को छूने या खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को साबुन और साफ पानी से अच्छी तरह धोएं।
3 परिवार के सदस्यों, विशेषकर बच्चों को नियमित रूप से हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करें।
4 जब साबुन और पानी आसानी से उपलब्ध न हो तो कम से कम 60% अल्कोहल युक्त हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें।
5 स्वच्छ, शुद्ध पानी पियें। उपभोग से पहले बोतलबंद पानी का उपयोग करें या नल के पानी को उबाल लें।
6 कच्चे या अधपके खाद्य पदार्थ, विशेषकर मांस, समुद्री भोजन और अंडे खाने से बचें।
8 सड़क विक्रेताओं से भोजन लेने के बारे में सावधान रहें।
9 स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करें और अपने समुदाय में स्वच्छ शौचालयों और हाथ धोने की प्रथाओं के उपयोग को प्रोत्साहित करें।
10 कचरे का उचित तरीके से निपटान करें और अपने आस-पास अच्छी स्वच्छता प्रथाएं बनाए रखें।
11 भोजन अच्छी तरह से पकाया गया हो, विशेषकर मांस, मुर्गी और अंडे।
12 उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की यात्रा करने से पहले टाइफाइड का टीका प्राप्त करने पर विचार करें।
13 टाइफाइड बुखार के लक्षणों और संचरण के बारे में जानें।
वायरल बुखार(Viral Fever): हवा से फैलने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)
वायरल बुखार वायरल संक्रमण के कारण होने वाली एक आम बीमारी है। जब वायरस हमारे शरीर पर आक्रमण करते हैं, तो वे हमें बीमार कर सकते हैं और बुखार जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं।
वायरल बुखार के दौरान, हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे गर्मी और पसीना आने लगता है। यह असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन आराम, तरल पदार्थ पीना और अपना ख्याल रखना
हमें बेहतर महसूस करने में मदद कर सकता है। विभिन्न वायरस वायरल बुखार का कारण बन सकते हैं, और वे कितने समय तक रहते हैं और कितने गंभीर हैं, इसमें भिन्नता हो सकती है।
वायरल बुखार के लक्षण निम्नलिखित हैं:
1 बुखार: 100.4°F (38°C) से ऊपर।
2 थकान, कमजोरी महसूस करना या सामान्य अस्वस्थता
3 सिरदर्द
4 शरीर में दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द हो सकता है
5 गले में खराश
6 खांसी
7 नाक बंद होना, छींक आना या नाक बहना
8 मितली और उल्टी
9 भूख में कमी
10 त्वचा पर दाने
वायरल बुखार से बचने के उपाय :
1 हाथ साफ करें: नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं, कम से कम 20 सेकंड तक, खासकर खाना खाने से पहले, शौचालय का उपयोग करने के बाद, और सार्वजनिक स्थानों में रहने के बाद।
2 हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें: अगर साबुन और पानी उपलब्ध नहीं हो, तो कम से कम 60% एल्कोहॉल से बना हुआ हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें।
3 श्वसन स्वच्छता बनाए रखें: खांसी या छींकते समय मुंह और नाक को एक तिस्सू या कोहनी से ढ़कें।
4 लोगों से संपर्क में ना रहें: वायरल बुखार के विषाणुओं से बचने के लिए भीड़ और संपर्क से दूर रहें।
5 स्वस्थ आहार लें: पोषक भोजन खाएं और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। स्वस्थ आहार आपके संक्रमण से लड़ने में सहायता करता है।
6 स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: नियमित रूप से व्यायाम करें, पर्याप्त नींद लें, तंबाकू और अल्कोहॉल का सेवन कम करें।
डायरिया(Diarrhoea): पानी से होने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)
डायरिया एक सामान्य स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें मल त्याग बार-बार, ढीला और पानी जैसा होता है।
डायरिया विभिन्न कारकों जैसे संक्रमण, दूषित भोजन या पानी, खाद्य असहिष्णुता, कुपोषण, एलर्जी और अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों के कारण हो सकता है।
डायरिया के लक्षण निम्नलिखित हैं:
1 पतला मल
2 दस्त से पीड़ित लोगों को प्रति दिन मल त्याग की संख्या में अचानक वृद्धि का अनुभव हो सकता है।
3 मल त्याग करने की अत्यावश्यकता का एहसास होता है।
4 पेट में दर्द या ऐंठन
5 मितली और उल्टी
6 सूजन या गैस
7 थकान
8 बुखार
9 मल में रक्त
10 निर्जलीकरण
डायरिया बुखार से बचने के उपाय :
1 हाथों की अच्छी स्वच्छता अपनाएं
2 सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करें
3 भोजन को स्वच्छ तरीके से संभालें और तैयार करें। संदूषण से बचने के लिए फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं।
4 स्ट्रीट फूड से सावधान रहें
5 बोतलबंद पानी का सेवन करें, बर्फ के टुकड़ों से बचें और गर्म, अच्छी तरह से पका हुआ भोजन चुनें।
6 बिना पाश्चुरीकृत डेयरी उत्पादों और कच्चे या अधपके अंडे, मांस और समुद्री भोजन का सेवन करने से बचें।
7 पहले अपने हाथ धोए बिना अपने चेहरे, मुंह या आंखों को छूने से बचें।
8 पूल, झीलों या नदियों में तैरते समय पानी निगलने से बचें, क्योंकि वे दूषित हो सकते हैं।
9 यात्रा करते समय सावधानी बरतें
10 स्तनपान को बढ़ावा दें: यदि आपका शिशु है, तो स्तनपान उन्हें आवश्यक पोषक तत्व और एंटीबॉडी प्रदान करेगा ।
पीलिया(Jaundice): पानी से होने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)
वायरस द्वारा लीवर में संक्रमण (हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी, और हेपेटाइटिस ई) भी पीलिया का कारण बन सकता है।
इनमें से, हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई वायरस आमतौर पर दूषित पानी के सेवन से होते हैं।
पीलिया के लक्षण निम्नलिखित हैं:
त्वचा और आंखों का पीला पड़ना: सबसे प्रमुख और ध्यान देने योग्य लक्षण त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला पड़ना है।
गहरे रंग का मूत्र: अतिरिक्त बिलीरुबिन की उपस्थिति के कारण।
पीला मल
थकान और कमजोरी
पेट में दर्द और सूजन
खुजली
भूख न लगना और वजन कम होना
मितली और उल्टी
बुखार
पीलिया से बचने के उपाय :
1 सुनिश्चित करें कि आप जो पानी पी रहे हैं वह स्वच्छ है। फ़िल्टर किया हुआ/उबला हुआ पानी ही पियें।
2 पानी को साफ बर्तन में रखें। पानी के जार/कंटेनरों को प्रतिदिन धोएं।
3 वॉशरूम का उपयोग करने या अपने बच्चे का डायपर बदलने के बाद हमेशा अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं
4 आपको खाना बनाने से पहले और बाद में भी अपने हाथ धोने चाहिए
5 खाना पकाने से पहले खाना अच्छी तरह धो लें।
6 भोजन को ठीक से पकाएं क्योंकि ये वायरस गर्मी के प्रति संवेदनशील होते हैं और उबालने से आसानी से मर जाते हैं।
7 जितना हो सके स्ट्रीट फूड से बचने की कोशिश करें और घर का बना खाना खाएं।
8 सुनिश्चित करें कि आपके घर में पानी की आपूर्ति करने वाले पाइप और टैंकों का उचित रखरखाव और सफाई की जाए।
9 शौचालय में किसी भी मल को डिटर्जेंट और गर्म पानी का उपयोग करके त्यागें या बहा दें।
10 यात्रा के दौरान केवल बोतलबंद पानी पिएं और बिना पका हुआ खाना खाने से बचें।
इंफ्लुएंजा(Influenza):हवा से फैलने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)
इन्फ्लुएंजा श्वसन तंत्र का एक तीव्र वायरल संक्रमण है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है।
इन्फ्लुएंजा के लक्षण निम्नलिखित हैं:
1 बुखार: बुखार अक्सर 38°C (100.4°F)
2 खांसी
3 गले में खराश
4 बहती या बंद नाक
5 सिरदर्द
6 मांसपेशियों या शरीर में दर्द
7 थकान
8 ठंड लगना और पसीना आना
9 कुछ व्यक्तियों को मतली, उल्टी या दस्त
10 सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई जैसे श्वसन लक्षण हो सकते हैं।
इन्फ्लूएंजा से बचने के उपाय :
1 निकट संपर्क से बचें.
2 जब आप बीमार हों तो घर पर रहें।
3 अपना मुँह और नाक ढकें।
4 अपने हाथ साफ करो.
5 हाथ धोना: स्वच्छ हाथ जीवन बचाएं
6 अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूने से बचें।
7 अन्य अच्छी स्वास्थ्य संबंधी आदतें अपनाएँ।
स्तोमैक फ्लू(Stomach flu): पानी से होने वाली बीमारी(monsoon diseases symptoms and prevention in hindi)
वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस तब होता है जब कोई वायरस पेट और आंत में संक्रमण का कारण बनता है।
संक्रमण से दस्त और उल्टी हो सकती है। इसे कभी-कभी “पेट फ्लू” भी कहा जाता है।
स्तोमैक फ्लू (Stomach Flu) के लक्षण निम्नलिखित हैं:
1 मितली और उल्टी
2 दस्त
3 पेट दर्द और ऐंठन
4 बुखार और थकान
स्टमक फ्लू (Stomach Flu)से बचने के उपाय :
1 सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, उचित हाथ की स्वच्छता महत्वपूर्ण है।
2 अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं।
3 ऐसे लोगों के साथ निकट संपर्क से बचें जो बीमार हैं या जिनमें पेट फ्लू के लक्षण हैं।
4 आप जो खाते-पीते हैं उसका ध्यान रखें; हाइड्रेटेड रहते हुए साफ और ठीक से पका हुआ भोजन खाएं।
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