लेप्रोसी: त्वचा के पीछे छिपी आत्मविश्वास की कहानी
what is leprosy (kusth rog) in hindi? Leprocy treatment | kusth rog |hansen disease लेप्रोसी (Leprosy) एक संक्रामक रोग है जो मनुष्यों को प्रभावित करता है। इसे माइकोबैक्टीरियम लेप्रोए के नाम से जाना जाता है, जो एक बैक्टीरियल संक्रामक विषाणु है। यह रोग मुख्यतः त्वचा, नसों, नसवाहिनियों और अत्यंत सांघिक पदार्थों को प्रभावित करता है।…
what is leprosy (kusth rog) in hindi?
Leprocy treatment | kusth rog |hansen disease
लेप्रोसी (Leprosy) एक संक्रामक रोग है जो मनुष्यों को प्रभावित करता है। इसे माइकोबैक्टीरियम लेप्रोए के नाम से जाना जाता है, जो एक बैक्टीरियल संक्रामक विषाणु है। यह रोग मुख्यतः त्वचा, नसों, नसवाहिनियों और अत्यंत सांघिक पदार्थों को प्रभावित करता है।
लेप्रोसी एक धीमी गंभीरता वाली बीमारी है, जो धीरे-धीरे विकास होती है और वर्षों तक छिपी रह सकती है। इसके लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देते हैं, जिनमें त्वचा पर दाने, घाव, नसों का नुकसान, सूजन और कुछ क्षेत्रों में छिपकली जैसे आकार के दाग शामिल हो सकते हैं।
लेप्रोसी(Hansen disease) एक संक्रामक रोग होने के कारण यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को फैल सकता है। इसका प्रसार मुख्य रूप से नकारात्मक संपर्क के माध्यम से होता है, जैसे भोजन, साझी वस्त्र, बर्तन या संपर्क के द्वारा। यह रोग शारीरिक संपर्क की बजाय भी वातावरण से फैल सकता है, खासकर जहां हैजीनिक मानकों की कमी होती है।
leprosy कहां पाया जाता है?
विश्वभर में लेप्रोसी कहां पाया जाता है हिंदी में विस्तार से जानेंगे।
लेप्रोसी दुनिया भर में विभिन्न देशों और क्षेत्रों में पाया जाता है। कुछ ऐसे क्षेत्र निम्नानुसार हैं:
भारत: भारत में लेप्रोसी एक मुख्य स्थानीय और जनसंख्या के आधार पर उच्च प्रसार वाला रोग है। राष्ट्रीय लेप्रोसी संस्थान (National Leprosy Eradication Programme) इसके नियंत्रण और उपचार के लिए देश भर में कार्रवाई कर रहा है।
ब्राजील: ब्राजील लेप्रोसी के मुख्य प्रसार क्षेत्रों में से एक है। यहां लेप्रोसी के पीड़ित व्यक्तियों की संख्या अधिक है और सरकार लेप्रोसी के खिलाफ नियंत्रण के लिए उच्च आपातकालीनता दिखा रही है।
नेपाल: नेपाल एक अन्य देश है जहां लेप्रोसी पाया जाता है। स्वास्थ्य अधिकारियों और संगठनों के साथी हमले लेप्रोसी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं और सार्वजनिक जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
नाइजीरिया: नाइजीरिया भी एक लेप्रोसी प्रसार क्षेत्र है, जहां स्थानीय संगठन और स्वास्थ्य अधिकारियों के सहयोग से लेप्रोसी के खिलाफ जागरूकता अभियान चल रहा है।
leprosy (kusth rog) प्रकार
लेप्रोसी, जिसे हिंदी में कुष्ठरोग भी कहा जाता है, एक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रोसी (Mycobacterium leprae) नामक जीवाणु द्वारा होता है। यह रोग मुख्य रूप से त्वचा, नसों, आँखों, नाक, और स्नायुग्रंथियों पर प्रभाव डालता है। लेप्रोसी कई प्रकार की होती हैं, जिन्हें निम्नलिखित रूपों में वर्गीकृत किया जाता है:
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, लेप्रोसी में विभाजित है:
(Paucibacillary)लेप्रोसी: इस वर्ग में रोगी के शरीर में कम संक्रामक जीवाणु होते हैं। इसमें त्वचा पर छोटे, सूखे छाले या निरंक जड़ी-बूटी के समान छाले पाए जा सकते हैं। इस प्रकार की लेप्रोसी में रोग के लक्षण त्वचा के छोटे इलाकों में होते हैं और नसों और अंगों का प्रभाव नहीं होता है।
(Multibacillary)लेप्रोसी: इस वर्ग में रोगी के शरीर में अधिक संक्रामक जीवाणु होते हैं। यह वर्ग छाले, गांठें और बड़े, जले हुए छाले के साथ दिखाई देता है। इस प्रकार की लेप्रोसी में रोग के लक्षण त्वचा के विभिन्न हिस्सों, नसों और अंगों पर प्रभावित होते हैं।
यह वर्गीकरण रोगी के उपचार योजना के निर्धारण में मदद करता है। पौष्टिकबैकीलेरी लेप्रोसी के लिए एक प्रकार का औषधि और मल्टीबैकीलेरी लेप्रोसी के लिए दूसरे प्रकार की औषधियाँ सलाह दी जाती हैं। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि सही औषधि का उपयोग करके संक्रामक जीवाणु को नष्ट किया जा सके और रोग को नियंत्रित किया जा सके।
रिडली और जोपलिंग द्वारा विभाजित लेप्रोसी (Leprosy) के प्रकार:
1 Indeterminate Leprosy (अनिश्चित लेप्रोसी): यह लेप्रोसी का प्रारंभिक चरण होता है, जहां प्राथमिक लक्षणों की एक संख्या पाई जाती है, लेकिन सुस्पष्ट रूप से प्रकारित नहीं होती है।
2 Tuberculoid Leprosy (त्यूबरक्यूलॉयड लेप्रोसी): इसमें रोगी के शरीर में कम संक्रामक जीवाणु होते हैं और शरीर के कुछ भागों पर त्वचा के छाले, गांठें और नसों का प्रभाव दिखाई देता है।
3 Borderline Tuberculoid Leprosy (बॉर्डरलाइन त्यूबरक्यूलॉयड लेप्रोसी): इस प्रकार की लेप्रोसी में संक्रामक जीवाणु की मात्रा मध्यम होती है और शरीर के कुछ हिस्सों पर छाले, गांठें और नसों का प्रभाव दिखाई देता है।
4 Borderline Leprosy (बॉर्डरलाइन लेप्रोसी): यह लेप्रोसी के विविध रूपों के बीच एक मध्यम संक्रामकता की मात्रा को प्रदर्शित करती है। इसमें त्वचा पर विभिन्न प्रकार के छाले, गांठें, नसों का प्रभाव और बॉर्डरलाइन खोपड़ी देखी जा सकती है।
5 Borderline Lepromatous Leprosy (बॉर्डरलाइन लेप्रोमेटस लेप्रोसी): इस प्रकार की लेप्रोसी में रोगी के शरीर में मध्यम संक्रामक जीवाणु की मात्रा बढ़ जाती है और खोपड़ी के साथ विभिन्न प्रकार की छाले, गांठें, नसों का प्रभाव देखी जा सकती है।
6 Lepromatous Leprosy (लेप्रोमेटस लेप्रोसी): इस प्रकार की लेप्रोसी में रोगी के शरीर में अधिक संक्रामक जीवाणु होते हैं और खोपड़ी के साथ विभिन्न प्रकार की छाले, गांठें, नसों का प्रभाव दिखाई देता है।
Leprosy symptoms(kusth rog लक्षण)
लेप्रोसी के लक्षणों की विस्तारपूर्वक सूची:
छाले और दाग: लेप्रोसी के प्राथमिक लक्षणों में त्वचा पर छोटे, सूजन और उबलते छाले देखे जा सकते हैं। ये छाले अक्सर अनकट और अनुद्यमी होते हैं और समय के साथ बढ़ सकते हैं।
त्वचा की गांठें: लेप्रोसी में त्वचा पर गोलाकार या गांठीदार बढ़ोतरी दिखाई दे सकती हैं। ये गांठें सामान्य त्वचा से थोड़ी कठोर और संघटित हो सकती हैं।
नसों का प्रभाव: लेप्रोसी में रक्त और लिम्फ नसों पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे उनमें सूजन या गांठें बन सकती हैं।
नसीबंदी और योनि का प्रभाव: यदि लेप्रोसी का विकास नासूरी और योनि क्षेत्र में होता है, तो इससे नसीबंदी, मस्तिष्क और श्रोणि का प्रभाव हो सकता है।
इन्फेक्शन के प्रभाव: लेप्रोसी के विकास के साथ, शरीर के अन्य हिस्सों में इंफेक्शन का प्रभाव भी हो सकता है। यह इंफेक्शन नसों, आंत्र, लकवा, आँखों, नाक और गले को प्रभावित कर सकता है।
संवेदनशीलता की कमी: लेप्रोसी में अधिकांश मामलों में संवेदनशीलता की कमी होती है, जिससे रोगी को ठंड, गर्मी, चोट और दबाव का अहसास नहीं होता है।
अंगों का दुर्बलता: लेप्रोसी के प्रगतिशील चरण में, रोगी के अंग और अंगों के कार्य कमजोर हो सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, हाथों, पैरों, आँखों और कानों के कार्यों में कमी देखी जा सकती है।
leprosy (hansen disease) causes
लेप्रोसी के कारण:
माइकोबैक्टीरियम लेप्रोसी जीवाणु: लेप्रोसी रोग का मुख्य कारण माइकोबैक्टीरियम लेप्रोसी जीवाणु होता है, जो एक संक्रामक रोग है। यह जीवाणु नाक और घावों के माध्यम से व्यक्ति से व्यक्ति में फैल सकता है।
संक्रामकता: लेप्रोसी संक्रामक रोग होता है, और यह संक्रामकता जीवाणु के संपर्क में आने से होती है। इसके लिए जीवाणु के संपर्क में आने के बाद रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होनी चाहिए।
संवेदनशीलता: लेप्रोसी के व्यक्ति में संवेदनशीलता की कमी होती है, जिसके कारण उन्हें जीवाणु के प्रति प्रतिरक्षा नहीं होती है। इससे जीवाणु शरीर के विभिन्न हिस्सों में बढ़ सकता है और रोग के लक्षण विकसित हो सकते हैं।
गंभीर आरोग्य समस्याएं: कुछ गंभीर आरोग्य समस्याएं, जैसे कि मल्नयक्ष्मा (टीबी), मैलेरिया, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, अनियमित खाद्य पदार्थों का सेवन, और अशुद्ध जल आदि लेप्रोसी के विकास को बढ़ा सकती हैं।
आनुवंशिक तत्व: आनुवंशिक तत्वों का भी लेप्रोसी के विकास में योगदान हो सकता है। यदि परिवार में किसी व्यक्ति में लेप्रोसी होती है, तो उनके परिवार के अन्य सदस्यों का भी लेप्रोसी के विकास का खतरा बढ़ जाता है।
leprosy complications(kusth rog जटिलताएं )
लेप्रोसी के जटिलताएं:
न्यूरोपैथी: लेप्रोसी रोग के परिणामस्वरूप न्यूरोपैथी विकसित हो सकती है, जिसमें संवेदनशीलता की कमी होती है और यह अंगों के कार्य कमजोर कर सकती है। इससे हाथ, पैर, आंखों, कानों और मस्तिष्क में समस्याएं हो सकती हैं।
रोगी के सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: लेप्रोसी रोग के कारण रोगी का सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। समाज में उपेक्षा, अलगाव, निराशा और असम्मान की स्थिति हो सकती है, जिससे रोगी का जीवन दुखद बन सकता है।
अंधता और बहरापन: लेप्रोसी के विकास के साथ, आंखों और कानों को प्रभावित करने वाली गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। यह रोगी के लिए दृष्टि की कमी और सुनने में कमी का कारण बन सकता है।
संक्रामक और जीवाणु फैलने का खतरा: लेप्रोसी रोगी को संक्रामकता की समस्या होती है, जिससे उनके साथी और अन्य लोगों को भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ता है। यह रोग के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।
साधारण स्वास्थ्य समस्याएं: लेप्रोसी रोग के साथ अन्य साधारण स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे कि रक्तमें हेमोग्लोबिन की कमी, अनिद्रा, शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी, ताकत का नुकसान आदि।
Leprosy Diagnosis(Hansen disease:निदान )
लेप्रोसी का निदान निम्नलिखित पदार्थों के माध्यम से किया जा सकता है:
क्लिनिकल परीक्षण: एक अनुभवी चिकित्सक लेप्रोसी के लक्षणों की पहचान कर सकता है। रोगी के शरीर के प्रभावित हिस्सों की जांच की जाती है और लक्षणों के आधार पर डायग्नोसिस स्थापित की जाती है।
बायोप्सी: संदर्भ में यदि चिकित्सक को यकीन नहीं होता है, तो एक रोगी से बायोप्सी लेना सुझाया जा सकता है। बायोप्सी के द्वारा प्राप्त कोशिकाओं और ऊतकों की जांच की जाती है, जो लेप्रोसी के विद्यमान को स्पष्ट कर सकती है।
चीकित्सा अध्ययन: रोगी के मेडिकल हिस्ट्री का परीक्षण और अध्ययन करके चिकित्सक रोग का निदान कर सकता है। यह सामान्य परीक्षण, लक्षणों की विवरण, और रोगी के साथ गतिविधियों और संक्रमित संपर्क के बारे में जानकारी शामिल करता है।
स्किन स्मीयर: स्किन स्मीयर लेना एक और उपयुक्त निदान पदार्थ हो सकता है। इसमें संक्रमण के लिए स्किन से एक नमूना लिया जाता है और माइक्रोस्कोप के द्वारा विशेषज्ञों द्वारा देखा जाता है। इसमें माइक्रोबैक्टीरिया लेप्रोसी की उपस्थिति की जांच की जाती है।
बायोमार्कर परीक्षण: कुछ विशेष बायोमार्कर परीक्षणों का उपयोग लेप्रोसी के निदान में किया जा सकता है। ये परीक्षण रक्त और सीएसएफ (सिंपथेटिक नर्व सम्बन्धित प्रोटीन) आदि की जांच कर सकते हैं, जो रोग के प्रकार की पहचान करने में मदद करते हैं।
Leprosy Treatment(kusth rog का उपचार)
लेप्रोसी रोग के उपचार के लिए मुख्यतः दो दवाओं का उपयोग किया जाता है:
दवा: रिफैम्पिसिन (Rifampicin), क्लोफाजिमिन (Clofazimine) और दाप्सोन (Dapsone) जैसी दवाएं लेप्रोसी के उपचार में सामान्यतः उपयोग की जाती हैं। इन दवाओं को नियमित रूप से लंबे समय तक सेवन करना होता है ताकि संक्रमण पूर्णतया नष्ट हो सके। दवाओं की खुराक और उपयोग के संबंध में चिकित्सक के निर्देशों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मल्टीड्रग थेरेपी (MDT): विशेष रूप से ग्रेड 2 और मल्टिबैकिलरी लेप्रोसी के लिए, स्थायी संक्रमण के उपचार के लिए एक कम्बाइनेशन दवा प्रोटोकॉल जिसे मल्टीड्रग थेरेपी (MDT) कहा जाता है, का उपयोग किया जाता है। यह उपचार रिफैम्पिसिन, क्लोफाजिमिन और दाप्सोन की संयोजन में होता है और लंबे समय तक लेप्रोसी के उपचार करने के लिए संक्रमण को नष्ट करता है।
इसके अलावा, लेप्रोसी के उपचार में रोगी के सामाजिक और मानसिक समर्थन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। रोगी को व्यक्तिगत स्वच्छता, पोषण, सही आहार और जीवनशैली के बारे में जागरूकता देनी चाहिए। स्वस्थ संबंधों और नियमित चिकित्सा जांचों का पालन भी महत्वपूर्ण है।
leprosy vaccine (kusth rog वैक्सीन)
लेप्रोसी के विरुद्ध एक पूर्णकालिक वैक्सीन अभी तक नहीं उपलब्ध है। हालांकि, वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं ने इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए कड़ी मेहनत की है। कई वैक्सीन उम्मीदवार शोध में विकसित की जा रही हैं, लेकिन अभी तक किसी एक संदर्भ में कोई वैक्सीन व्यापक रूप से व्यापकता प्राप्त नहीं कर पाई है।
वैक्सीन विकास में कई चुनौतियों का सामना किया जा रहा है। लेप्रोसी बैक्टीरिया के विशेष गुणधर्मों के कारण इसे प्रभावी रूप से नष्ट करना मुश्किल होता है। इसके अलावा, वैक्सीन के निर्माण में अपनी सुरक्षा और प्रभावीता का पूरा प्रमाण दिखाना भी महत्वपूर्ण है।
वैक्सीन विकास के क्षेत्र में सतत अग्रसर हो रहे हैं और उम्मीद है कि भविष्य में एक सकारात्मक परिणाम देने वाला लेप्रोसी वैक्सीन उपलब्ध होगा। जब तक वैक्सीन तैयार नहीं होती है, उपचार और संचार के माध्यम से लेप्रोसी को नियंत्रित करना और इसकी प्रभावी रोकथाम करना महत्वपूर्ण है।
वैक्सीन विकास के बावजूद, अभी तक लेप्रोसी के उपचार के लिए संशोधित मल्टीड्रग थेरेपी (MDT) का प्रयोग किया जाता है जो रोग को नष्ट करने और संक्रमण को नियंत्रित करने में सफल साबित हो रहा है। इसके साथ ही, सही और समय पर उपचार के माध्यम से संक्रमण का प्रबंधन किया जा सकता है और रोगी को उच्च गुणवत्ता वाली जीवनशैली देनी चाहिए।
Leprosy Prevention (Hansen disease रोकथाम)
लेप्रोसी की रोकथाम के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जा सकते हैं:
स्वच्छता और हाइजीन का पालन: स्वच्छता और हाइजीन को बनाए रखना लेप्रोसी के संक्रमण को रोकने में महत्वपूर्ण है। नियमित धोने, साबुन और पानी का उपयोग करके हाथों और शरीर को स्वच्छ रखें। लेप्रोसी संक्रमण के जिन्हें विकसित किया जा सकता हैं, उन्हें उच्च स्वच्छता स्तर वाले सामानों का उपयोग करके अलग रखें।
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचें: लेप्रोसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से दूरी बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। लेप्रोसी के रोगी के साथ संपर्क से बचें और उनके सामाजिक और व्यक्तिगत सामग्री का उपयोग न करें।
टीकाकरण (Vaccination): अभी तक कोई वैक्सीन लेप्रोसी के खिलाफ उपलब्ध नहीं है, लेकिन वैक्सीन विकास के क्षेत्र में शोध जारी है। जब तक वैक्सीन तैयार नहीं होती है, अन्य उपायों का पालन करें।
जागरूकता और शिक्षा: लोगों को लेप्रोसी के संक्रमण, उपचार, रोकथाम के तरीकों और सम्बंधित मिथकों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से लोगों को लेप्रोसी के बारे में सही जानकारी और संचेतना प्रदान करें।
जल्द से जल्द चिकित्सा लें: लेप्रोसी के लक्षणों को गंभीरता से लें और अगर आपको लगता है कि आप या कोई आपके आसपास को लेप्रोसी हो सकती है, तो तुरंत चिकित्सा सेवा प्राप्त करें।
Mycobacteruim leprae causes leprocy
Mycobacterium leprae, जिसे लेप्रोसी बैक्टीरिया भी कहा जाता है, लेप्रोसी रोग का प्रमुख कारण है। यह बैक्टीरिया संक्रमण करने के लिए मानव शरीर के तंत्र में प्रवेश करता है। यह एक ग्राम-पॉजिटिव, अनावश्यकीकरण क्षम और अनावश्यकीकरण क्रिया के अभाव में जीवित रहता है।
लेप्रोसी बैक्टीरिया व्यक्ति से व्यक्ति में संक्रमण फैलाता है, जिसमें यह प्राथमिकतापूर्वक त्वचा और पैरों के नस को प्रभावित करता है। इसके प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण, बहुत कम लोगों में इस संक्रमण का प्रकाशन होता है, और जिन लोगों में प्रकाशन होता है, वे भी इसके प्रभावी इलाज द्वारा ठीक हो सकते हैं।
लेप्रोसी बैक्टीरिया द्वारा संक्रमण के बाद, व्यक्ति के शरीर में इम्यून संक्रामक प्रतिक्रिया प्रारंभ होती है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में विकसित होती है। इससे अलग-अलग प्रकार की लेप्रोसी रोगियों में विभिन्न लक्षण देखे जा सकते हैं।
लेप्रोसी बैक्टीरिया का शरीर में लंबे समय तक अवस्थान रहना इस रोग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह धीरे-धीरे शरीर के तंत्र में नस और त्वचा के संक्रमण को बढ़ाता है और रोग के लक्षणों का प्रकाशन करता है।
leprosy foods
यहां कुछ आहार विचारों की सूची है जिन्हें लेप्रोसी रोगियों को सेवन करना चाहिए:
प्रोटीन युक्त आहार: मसूर दाल, सोयाबीन, तिल, मेवे, अंडे, दूध, दही, पनीर, मछली और मांस जैसे प्रोटीन संपन्न आहार लेना लेप्रोसी रोगियों के लिए उचित होता है।
फल और सब्जियां: अदरक, नींबू, अंगूर, सेब, संतरा, पपीता, गाजर, गोभी, मटर, पालक, टमाटर, शिमला मिर्च, ब्रोकली, लौकी और खीरा जैसे फल और सब्जियां शरीर को ऊर्जा और पोषण प्रदान करती हैं।
विटामिन संपन्न आहार: अंगूर, नारियल पानी, आम, पपीता, नींबू, आंवला, गाजर, टमाटर, पलक, दही, मेवे और खासकर अंडे में विटामिन संपन्नता होती है। ये आहार विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन बी के स्रोत होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने में मदद करते हैं।
खाद्य संयंत्रों के प्रतिबंध: तम्बाकू, अल्कोहल और मसालेदार, तली हुई और तला हुआ भोजन जैसे खाद्य संयंत्रों के सेवन से बचें, क्योंकि ये संप्रभु आहार रक्त परिसंचरण को प्रभावित कर सकते हैं और रोग के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
पानी की पर्याप्त मात्रा: प्रतिदिन काफी मात्रा में पानी पिएं, क्योंकि इससे शरीर के अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
National Leprosy Eradication Programme (Leprocy Treatment)
NLEP (National Leprosy Eradication Programme) भारत सरकार द्वारा संचालित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसका मुख्य उद्देश्य लेप्रोसी संक्रमण को पूर्णतः समाप्त करना है। इस कार्यक्रम का शुरुआती अवस्था में 1955 में हुई थी और इसका प्रमुख लक्ष्य लेप्रोसी संक्रमण को देशभर में नियंत्रित करना और संक्रमित व्यक्तियों को समय पर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना है।
NLEP के अंतर्गत निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं:
खोज और नई संक्रमित मामलों की रिपोर्टिंग: NLEP के तहत स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा लेप्रोसी संक्रमित मामलों की खोज की जाती है और इन मामलों की रिपोर्टिंग की जाती है।
संक्रमित व्यक्तियों का उपचार: NLEP कार्यक्रम के अंतर्गत लेप्रोसी संक्रमित व्यक्तियों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। यह चिकित्सा उपचार दवाओं के माध्यम से होता है जो निश्चित अवधि तक लेप्रोसी संक्रमण को नियंत्रित करते हैं।
सामाजिक समावेशीकरण: NLEP उन लोगों को सामाजिक समावेशीकरण की दिशा में प्रोत्साहित करता है जो लेप्रोसी संक्रमण से प्रभावित हुए हैं। यह समावेशीकरण उन्हें शिक्षा, रोजगार, आवास, आर्थिक सहायता और सामाजिक मान्यता के लिए सहायता प्रदान करके होता है।
Disclaimer
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है।हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।
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